"अगर मैंने ऐसा नहीं किया होता, तो शायद मर जाता", Mohammed Siraj ने किया चौंकाने वाला खुलासा

मोहम्मद सिराज (Mohammed Siraj) की गिनती आज सबसे अच्छे तेज गेंदबाजों में की जाती है। वो अब हर फॉर्मेट में टीम इंडिया के नियमित गेंदबाज बन गए हैं।

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image credit ipl/ bcci

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मोहम्मद सिराज (Mohammed Siraj) की गिनती आज सबसे अच्छे तेज गेंदबाजों में की जाती है, फॉर्मेट कोई सा भी हो, सिराज ने हर फॉर्मेट में अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया है। वो अब हर फॉर्मेट में टीम इंडिया के नियमित गेंदबाज बन गए हैं। टीम इंडिया (Team India) की कई यादगार जीतों में उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से अहम योगदान दिया है।  IPL 2023 में भी वो RCB के लिए अपना जलवा बिखेर रहे हैं। हाल ही में एक शो में सिराज ने अपने से जुड़े कई राज खोले।  

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जब मौत के मुंह में जाते-जाते बचे थे सिराज 

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मोहम्मद सिराज ने एक यूट्यब शो ब्रेकफास्ट विद चैंपियन पर बात करते हुए कहा "मैं उस समय अंडर 23 टीम (U-23 Team) का हिस्सा था, टीम को विदेशी दौरे के लिए रवाना होना था। लेकिन रवाना होने से एक दिन पहले स्थिति ये थी, कि मैं डेंगू होने की वजह से हॉस्पिटल में एडमिट था। मेरी प्लेटलेट्स तेजी से कम हो रहीं थीं। मेरी हालत ऐसी थी कि अगर उस समय मैं हॉस्पिटल में एडमिट नहीं हुआ होता, तो शायद आज जिंदा भी नहीं होता। उस समय मेरी स्थिति ऐसी थी कि मैंने अगर लापरवाही की होती तो मैं मर भी सकता था।"

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आगे सिराज ने कहा "इसकी वजह से मैं उस समय बहुत टेंशन में था, फिर मैंने हमारी टीम के कोच को इस बारे में सूचित किया। उस समय हमारे कोच नए थे, उन्होंने जब ये बात बाकी लोगों को बताई, तो किसी ने भी उनकी बात पर विश्वास नहीं किया। इसकी वजह ये थी कि मैंने कई बार झूठ बोलकर अपनी प्रेक्टिस मिस की थी। सब को लगा कि इस बार भी मैं झूठ बोल रहा हूं। मुझे पहले बोले गए झूठों की वजह से इस स्थिति का सामना करना पड़ा था।"     

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जब जेब खर्च के लिए मिलते थे 70 रुपए 

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इसके अलावा सिराज ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताया "उस समय पिताजी मुझे रोज 70 रूपए देते थे, जिसमें से 40 रूपए प्लेटीना (मेरी बाइक) में पेट्रोल के लिए खर्च होते थे। मेरी बाइक ऐसी थी कि उसे शुरू करने के लिए भी मेहनत करनी पड़ती थी। दूसरे लोग मर्सडीज, BMW में प्रैक्टिस के लिए आते थे। जबकि मैं उनके जाने का इंतजार करता था, ताकि मैं अपनी प्लेटीना को पुश कर उसे चालू कर सकूं। वे लोग मुझे देखने के आदी नहीं थे और मुझसे दूरी बनाए रखते थे।"

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