क्रिकेट में हड़कंप मचाने वाली नई समस्याएं, उनके पीछे के कारण और उनका समाधान

खेलों में एक ऐसा दौर आता है, जब एकाएक कई खिलाड़ी संन्यास ले लेते हैं। प्रायः ऐसा बड़े टूर्नामेंट की समाप्ति के बाद होता है, जब अपनी टीम को शिखर पर पहुंचा कर कई खिलाड़ी खुशी से खेल को अलविदा कह देते हैं। जबकि कई खिलाड़ी टीम के और अपने खराब प्रदर्शन के बाद निराश होकर संन्यास के ऐलान कर देते हैं। क्रिकेट भी इससे अछूता नहीं है, इसमें भी यही सब होता है।

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By puneet sharma
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क्रिकेट में हड़कंप मचाने वाली नई समस्याएं, उनके पीछे के कारण और उनका समाधान

खेलों में एक ऐसा दौर आता है, जब एकाएक कई खिलाड़ी संन्यास ले लेते हैं। प्रायः ऐसा बड़े टूर्नामेंट की समाप्ति के बाद होता है, जब अपनी टीम को शिखर पर पहुंचा कर कई खिलाड़ी खुशी से खेल को अलविदा कह देते हैं। जबकि कई खिलाड़ी टीम के और अपने खराब प्रदर्शन के बाद निराश होकर संन्यास का ऐलान कर देते हैं। क्रिकेट भी इससे अछूता नहीं है, इसमें भी यही सब होता है।

क्यों मचा है क्रिकेट जगत में हड़कंप

लेकिन पिछले कुछ दिनों में जो भी घटनाएं घटी हैं, वो सामान्य नहीं हैं। शुरुआत में जब इंग्लैंड के छोटे प्रारूप के कप्तान इयान मोर्गन, केरेबियन खिलाड़ियों दिनेश रामदीन और लेंडल सिमंस ने खेल को अलविदा कहा तो ये सामान्य घटनाएं लगीं। जब बांग्लादेश के तमीम इकबाल ने टी-20 क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की, तब भी खेल में कुछ गड़बड़ नहीं लगा। लेकिन जब इंग्लैंड के दिग्गज ऑलराउंडर बेन स्टोक्स ने वनडे से असमय संन्यास की घोषणा की तो तहलका मच गया। जोकि ट्रेंट बोल्ट और मेग लेनिंग के निर्णयों के बाद ये विवाद और भी गहरा गया।

अब अलग अंदाज में खेलना छोड़ रहे हैं खिलाड़ी

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उसके बाद अब खिलाड़ियों ने खेल से दूर होने का अलग अंदाज अपनाया है। न्यूजीलैंड के जाने-माने गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट ने न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड से अपने कॉन्ट्रैक्ट को खत्म कर लिया है, इसके बाद वो कभी कभार ही टीम के लिए खेल पाएंगे, लगातार नहीं।

बोल्ट की घोषणा के कुछ समय बाद ही उनके पड़ोसी मुल्क ऑस्ट्रेलिया की महिला टीम की कप्तान मेग लेनिंग ने भी अपने बोर्ड क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को सूचित किया कि वो अनिश्चित काल के खेल से ब्रेक ले रही हैं। इन घटनाओं के बाद से खेल जगत में हड़कंप मचा हुआ है।

इन असामान्य घटनाओं के पीछे की वजह

जब हम विवेचना करेंगे कि इन असामान्य घटनाओं की वजह क्या है? तो जो वजह निकल कर सामने आएंगी वो ये हैं। इसकी  पहली वजह है, खेल का बिजी शेड्यूल। पहले जहाँ कोई भी टीम साल भर के दौरान मुश्किल से लगभग 6 महीने ही क्रिकेट खेला करती थी। उसमें भी दो सीरीजों के बीच अच्छा खासा ब्रेक हुआ करता था। राष्ट्रीय टीम के अलावा खिलाडियों के पास सिर्फ घरेलू टीम के लिए खेलने का ही विकल्प था, या फिर काउंटी क्रिकेट खेलने  का।

वहीं अब साल भर अंधाधुंध क्रिकेट खेला जा रहा है। हद तो तब होती है, जब पैसा कमाने के चक्कर में एक ही देश की दो टीमें एक साथ अलग-अलग टीमों के विरुद्ध एक ही समय में मैदान पर होती हैं। व्यस्त शेड्यूल के कारण खिलाड़ी थकने लगे। और इसका असर उनके प्रदर्शन पर भी दिखने लगा है।

दूसरी वजह है चकाचौंध से भरी टी-20 लीग क्रिकेट। इन लीग क्रिकेट में खेलकर खिलाड़ी कम समय ही दौलत ओर शोहरत  हासिल कर लेते हैं। इसलिए भी कई खिलाड़ियों का अपनी राष्ट्रीय टीम से ध्यान भंग हो रहा है।

क्या हो सकता इन समस्याओं का समाधान

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अपनी राष्ट्रीय टीम और खेल से खिलाड़ियों का भंग होता मोह अत्यंत चिंताजनक है। ये न तो खेल के लिए अच्छा है और न ही टीमों के लिए। अगर यही ट्रेंड चलता रहा तो आगे चलकर इसके गम्भीर परिणाम होंगे। 
इसलिए अच्छा यही होगा कि समय रहते इन समस्याओं का हल निकाल लिया जाए। क्या हो सकते हैं, इन समस्याओं के समाधान बताते हैं।

सबसे पहले ये सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी टीम एक लिमिट के अंदर ही क्रिकेट खेले, वो जरूरत से ज्यादा क्रिकेट न खेले। दूसरी चीज ये करनी होगी कि यदि लगे कोई टीम अगर काफी क्रिकेट खेल रही है तो वो अपने खिलाड़ियों को रोटेट करके खिलाए। जिससे खिलाड़ियों को थकान न हो, और वो अपने परिवार के साथ भी क्वालिटी टाइम बिता सकें। 

एक और चीज ये भी करनी होगी कि दुनियाभर की लीगों की संख्या को सीमित करना होगा। जिससे इनके चलते खिलाड़ियों का अपनी टीम से ध्यान भंग न हो। क्योंकि यदि समय रहते इन चीजों पर ध्यान नहीं दिया, तो भविष्य में खेल के अस्तित्व के लिए भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा।
 

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