अगर पिछले कुछ समय में इंग्लैंड के प्रदर्शन की बात की जाए, तो टेस्ट मैचों में उसका प्रदर्शन बहुत शानदार रहा है। उन्होंने विशाल लक्ष्यों का भी आसानी से पीछा किया है। लेकिन अगर पिछले कुछ महीने में कमजोर माने जाने वाली नीदरलैंड की टीम की बात छोड़ दें, तो इंग्लैंड द्वारा सीमित ओवर क्रिकेट में उतना प्रभावशाली प्रदर्शन नहीं किया गया है, जितना कि टेस्ट क्रिकेट में।
आखिर इसकी वजह क्या है? ये प्रश्न सभी के मन में उठ रहा है, कि आखिर क्यों इंग्लैंड सीमित ओवरों में उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही है, जितना टेस्ट क्रिकेट में? आज इस लेख में इसके पीछे की वजह जानते है।
हालिया टेस्ट मैचों में शानदार प्रदर्शन किया है इंग्लैंड ने, लेकिन सीमित ओवर क्रिकेट में नहीं
इस साल अगर पिछले दो महीने में इंग्लैंड द्वारा खेले गए टेस्ट मैचों की बात की जाए तो उसने पहले न्यूजीलैंड को 3 मैचों की सीरीज में आसानी से 3-0 से हरा दिया। और फिर कोविड के कारण पिछले साल के छूट गए पांचवें टेस्ट मैच में भारत को हराकर, सीरीज में 2-2 से बराबरी कर ली।
जबकि इससे पहले उसे न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज में न सिर्फ हार का सामना करना पड़ा था, बल्कि वो उनके खिलाफ एक भी मैच नहीं जीत सका था।
वहीं नीदरलैंड की सीरीज को अपवाद मान लें तो वनडे हो या टी-20, इंग्लैंड का सीमित ओवर क्रिकेट में प्रदर्शन उतना दमदार नहीं रहा है, जितनी की उससे अपेक्षाएं थीं। अभी भारत के खिलाफ इस सीरीज में पहले वनडे में हारने से पहले भी, उसे टी-20 में भी हार का सामना करना पड़ा था।
आखिर क्या है प्रदर्शन में इस अंतर की वजह, टेस्ट मैचों की सफलता में किसका है हाथ?
इंग्लैंड को टेस्ट क्रिकेट में मिली सफलता में दरअसल उनके टेस्ट क्रिकेट कोच ब्रेन्डन मैक्कलम का हाथ है। पूर्व कोच क्रिस सिल्वरवुड के जाने के बाद इंग्लैंड टेस्ट टीम के कोच की कमान, मई महीने से से न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान ब्रेन्डन मैक्कलम के हाथों में आ गई थी।
ब्रेन्डन मैक्कलम ने आते ही टीम की मानसिकता ही बदल कर रख दी, उन्होंने खिलाड़ियों के अंदर आक्रामक और सकारात्मक तरीके से खेलने का जज्बा जगाया। मैक्कलम ने खिलाड़ियों को सिखाया कि कोई लक्ष्य असंभव नहीं है, उसे प्राप्त किया जा सकता है, बस सोच सकारात्मक होनी चाहिए।
इसी का नतीजा है कि टेस्ट क्रिकेट में प्रायः सबसे मुश्किल माने जाने वाली चौथी पारी में कठिन लक्ष्यों को भी पाने में इंग्लैंड लगातार 4 बार सफल रहा। ब्रेन्डन मैक्कलम की सोच का नतीजा है कि भारत के खिलाफ जीत के बाद इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान बेन स्टोक्स ने कहा कि "हम 450 रनों के लक्ष्य मिलने पर भी उसका पीछा करने को तैयार थे।"
फिर सवाल ये कि सीमित ओवर में वैसा प्रदर्शन क्यों नहीं, मैक्कलम केकेआर (KKR) के लिए फेल क्यों?
दरअसल ब्रेन्डन मैक्कलम सिर्फ टेस्ट फॉर्मेट में ही इंग्लैंड के कोच हैं, लिमिटेड ओवर क्रिकेट में मैथ्यू मोट उसके कोच हैं। फिर सवाल ये उठता है कि अगर ब्रेन्डन मैक्कलम इतने अच्छे कोच हैं, तो उन्होंने केकेआर की नैय्या पार क्यों नहीं लगाई?
इसकी वजह ये भी है कि केकेआर में उन्हें उतनी फ़्रीडम थी, जितनी उनके लिए आवश्यक थी। सूत्र बताते हैं कि केकेआर की टीम में मेनेजमेंट की दखलंदाजी ज्यादा थी, इसलिए मैक्कलम उतने सफल नहीं रहे। खैर जो भी हो, ये तो सत्य है कि मैक्कलम के आने के बाद इंग्लैंड टेस्ट टीम का कायापलट तो हुआ है।