IND vs ENG: भारत और इंग्लैंड के बीच हाल ही में खत्म हुई रोमांचक टेस्ट सीरीज के बाद, 'वर्कलोड मैनेजमेंट' पर बहस एक बार फिर तेज हो गई है। इस बीच सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने इस पर अपनी बेबाक राय दी है।
'जब देश के लिए खेलते हैं...', पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने उड़ाई वर्कलोड मैनेजमेंट की धज्जियां, कह डाली बड़ी बात

Sunil Gavaskar on Workload Management: भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज खत्म होने के बाद एक बार फिर एक मुद्दे पर बहस शुरू हो गई है। दिग्गज बल्लेबाज और पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने क्रिकेट में "वर्कलोड मैनेजमेंट" पर बढ़ती बहस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने भारतीय क्रिकेट की डिक्शनरी से इस शब्द को हटाने की वकालत की और मोहम्मद सिराज के प्रदर्शन का उदाहरण देते हुए बड़ी बात कही।
बता दें कि भारत और इंग्लैंड के बीच खेली गई पांच मैचों की टेस्ट सीरीज 2-2 से ड्रॉ रही थी। जिसमें मोहम्मद सिराज उन खिलाड़ियों में शामिल थे जिन्होंने सभी पांच मैचों में हिस्सा लिया था। जबकि जसप्रीत बुमराह को वर्कलोड मैनेजमेंट के तहत केवल तीन मैच ही खेलने को मिले थे।
वर्कलोड पर सुनील गावस्कर का बयान
सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने कहा, "वर्कलोड केवल मानसिक बात है, न कि शारीरिक।" उन्होंने मोहम्मद सिराज की तारीफ करते हुए कहा कि तेज गेंदबाज ने पांचों टेस्ट मैचों में लगातार गेंदबाजी की और कप्तान की जरूरत के हिसाब से छह से आठ ओवर के स्पेल फेंके। सिराज के इस जज्बे ने यह साबित कर दिया कि जब आप देश के लिए खेलते हैं, तो थकान या चोट की परवाह नहीं करते।

गावस्कर ने गंभीर पर साधा निशाना
सुनील गावस्कर का यह बयान हेड कोच गौतम गंभीर के उस फैसले पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने जसप्रीत बुमराह को पांचवें टेस्ट से आराम देने का निर्णय लिया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने कहा, "अगर हमारे देश के जवान सर्दी-गर्मी में सीमा पर तैनात रह सकते हैं, तो खिलाड़ी भी मैदान पर अपना सौ प्रतिशत दे सकते हैं। क्या कोई जवान ठंड की शिकायत करता है?"

Sunil Gavaskar ने पंत का दिया उदाहरण
सुनील गावस्कर ने ऋषभ पंत का उदाहरण भी दिया, जिन्होंने उंगली में चोट के बावजूद बल्लेबाजी की। सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) का कहना है कि यही जुनून खिलाड़ी को महान बनाता है। उन्होंने कहा, "गेंदबाज मैच जिताते हैं, लेकिन रन बनाना भी जरूरी है। जिन दो मैचों में भारत हारा, उनमें रन नहीं बने। लेकिन सिराज ने पूरे मन से गेंदबाजी की और काम के बोझ का बहाना हमेशा के लिए खत्म कर दिया।"
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