Ravindra Jadeja: साउथ अफ्रीका के खिलाफ हार की कगार पर खड़ी टीम इंडिया को लेकर रविंद्र जडेजा ने कहा कि आखिरी टेस्ट को ड्रॉ कराना भी जीत जैसा होगा। उनका बयान युवा टीम के लिए सीख और आत्मविश्वास का संदेश देता है।
‘ड्रॉ जीत जैसा होगा…’ हार की कगार पर टीम इंडिया, रविंद्र जडेजा का चौंकाने वाला बयान वायरल
Ravindra Jadeja on IND vs SA 2nd Test: साउथ अफ्रीका के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट सीरीज लगभग हाथ से निकल चुकी है और आखिरी दिन 549 रन का लक्ष्य भारत के लिए नामुमकिन सा लग रहा है। ऐसे में टीम इंडिया के अनुभवी ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा ने जो बयान दिया, वह तेजी से वायरल हो गया है।
जडेजा का मानना है कि इस मैच में अगर टीम इंडिया ड्रॉ भी बचा लेती है, तो वह एक तरह से जीत जैसा एहसास होगा खासकर इस युवा टीम के आत्मविश्वास के लिए। जडेजा ने साफ कहा कि इस संभावित हार का अगले साल श्रीलंका में होने वाली टेस्ट सीरीज पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
Ravindra Jadeja का वायरल बयान
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रविंद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) ने कहा, “हम टेस्ट मैच बचाने की कोशिश करेंगे। अगर हम सीरीज नहीं भी जीत रहे हैं तो भी मैच ड्रॉ कर सकें, तो वह हमारे लिए जीत की तरह होगा।” उनका मानना है कि विदेशी सरजमीं पर खेलने वाली युवा भारतीय टीम के लिए यह हार भविष्य में मजबूती लाएगी।

युवा खिलाड़ियों का किया बचाव
जडेजा ने टीम के युवा खिलाड़ियों का समर्थन करते हुए कहा कि इंटरनेशनल लेवल पर कोई भी प्रारूप आसान नहीं होता। उन्होंने कहा, “टीम में जो युवा खिलाड़ी हैं, वे अभी सीखने के चरण में हैं। उनका करियर शुरू हो रहा है और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट हमेशा चुनौतीपूर्ण रहता है।”

क्या पिच में हुआ था बदलाव?
पिच को लेकर जडेजा (Ravindra Jadeja) ने दिलचस्प बात कही। उन्होंने कहा कि पहले दो दिनों में गेंदबाजी करते समय पिच पर कोई निशान नहीं थे और विकेट बिल्कुल सपाट था। “विकेट शीशे की तरह चमक रहा था,” उन्होंने कहा। लेकिन जब साउथ अफ्रीका की टीम गेंदबाजी करने आई, तो तेज गेंदबाजों के शुरुआती विकेट झटकने के बाद स्पिनर्स को मदद मिलने लगी। गेंद टर्न होने लगी, उछाल बढ़ गया और भारतीय बल्लेबाज दबाव में आ गए।
टॉस ने मुकाबले पर डाला फर्क
जडेजा (Ravindra Jadeja) ने स्वीकार किया कि दोनों टेस्ट में टॉस हारना भारत के खिलाफ गया। उन्होंने कहा, “टॉस जीतना या हारना खेल का हिस्सा है, लेकिन इसका असर जरूर पड़ता है। जब आप पहली पारी में गेंदबाजी कर रहे हों और विकेट पर कुछ न हो, तो ऐसा लगता है कि स्पिनर्स साधारण हैं। लेकिन जब आप 300 रन आगे हों, तो हर गेंदबाज खतरनाक लगने लगता है।”