Gautam Gambhir: भारतीय जमीन पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में मिली करारी हार ने भारतीय क्रिकेट के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हार का सीधा निशाना हेड कोच गौतम गंभीर की रणनीति पर है।
'अब BCCI को देखना होगा....' गौतम गंभीर की कोचिंग पर सवाल बरकरार, पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने बोर्ड से की बड़ी मांग
Manoj Tiwary Questions on Gautam Gambhir's Tactics: भारत की एक और टेस्ट सीरीज हार ने हेड कोच गौतम गंभीर की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा कर दिया है। भारत बनाम साउथ अफ्रीका घरेलू सरजमीं पर मिली इस हार के बाद गंभीर को लेकर सवाल पहले से कहीं अधिक तेज हो गए हैं।
सोशल मीडिया पर फैंस ने जहां गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) को पद से हटाने की मांग शुरू कर दी है, वहीं भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) फिलहाल किसी बड़े बदलाव के संकेत नहीं दे रहा। गंभीर भी अपने भविष्य का निर्णय बोर्ड पर छोड़ चुके हैं, लेकिन उनकी रणनीतियों को लेकर आलोचना लगातार बढ़ रही है।
Gautam Gambhir पर क्या आरोप है?
गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) पर आरोप है कि वे टेस्ट टीम में स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों की बजाय अधिक ऑलराउंडर्स चुन रहे हैं। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 1-3 से हारने के बाद ये रुझान जारी है। कुलदीप यादव, अर्शदीप सिंह और देवदत्त पडिक्कल जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी लंबे समय से बाहर हैं, जबकि सरफराज खान, अभिमन्यु ईश्वरन और करुण नायर को भी मौका नहीं मिला। सबसे बड़ा विवाद मोहम्मद शमी के चयन न होने पर हुआ, जिस पर मनोज तिवारी ने गंभीर की रणनीति पर कड़ी नाराजगी जताई।

तिवारी ने उठाए बड़े सवाल
मनोज तिवारी ने भारतीय चयन समिति और गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) दोनों से जवाब मांगा है। उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, "घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बनाने वाले बल्लेबाज टीम में नहीं हैं। सरफराज खान सब-कॉन्टिनेंट में रन बनाने में माहिर हैं। करुण नायर को सिर्फ एक सीरीज देकर बाहर कर दिया गया। ये खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट में बड़ा अंतर ला सकते थे। सबसे अहम सवाल मोहम्मद शमी को क्यों नहीं चुना गया? अगर वो दूसरे टेस्ट में जैनसन और मुथुसामी के खिलाफ गेंदबाजी करते, तो मैच का परिणाम अलग हो सकता था।"
तिवारी का स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों की भूमिका पर जोर
मनोज तिवारी ने आगे टेस्ट क्रिकेट में स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "असली ऑलराउंडर्स वे होते हैं जो बल्ले और गेंद दोनों से मैच जिता सकते हैं। हमारी टीम में कितने ऐसे खिलाड़ी हैं? टेस्ट क्रिकेट में अनुभव और तकनीक की जरूरत होती है। अगर सफेद गेंद के खिलाड़ियों को टेस्ट में आजमाया जाएगा, तो परिणाम निराशाजनक ही होंगे। अब वक्त है कि रणनीति की पूरी समीक्षा की जाए।"
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