गरीबी में आटा गीला...अब भारतीय फुटबॉल पर मंडराया 'सस्पेंशन' का डर, FIFA से मिली आखिरी वॉर्निंग!

भारतीय फुटबॉल पर एक बार फिर सस्पेंशन का खतरा मंडरा रहा है। फीफा और एएफसी ने एआईएफएफ को 30 अक्टूबर तक नया संविधान अपनाने की सख्त चेतावनी दी है, वरना भारत की टीमें अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट से बाहर हो सकती हैं।

iconPublished: 27 Aug 2025, 06:21 PM
iconUpdated: 27 Aug 2025, 06:42 PM

Indian Football ban: भारतीय फुटबॉल एक बार फिर बड़े संकट के मुहाने पर खड़ा है। हालात पहले ही उलझे हुए थे एक तरफ इंडियन सुपर लीग (ISL) के शेड्यूल को लेकर असमंजस बना हुआ था, वहीं अब फीफा और एशियाई फुटबॉल परिसंघ (AFC) ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) को सख्त चेतावनी देकर माहौल और तनावपूर्ण बना दिया है।

वैश्विक संचालन संस्था ने साफ शब्दों में कह दिया है कि अगर 30 अक्टूबर तक नया संविधान अपनाकर उसकी पुष्टि नहीं की गई, तो भारत पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निलंबन लटक सकता है।फीफा और एएफसी ने एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे को भेजे दो पन्नों के कड़े पत्र में 2017 से लंबित पड़े संविधान संशोधन को लेकर अपनी ‘गहरी चिंता’ जताई है।

शीर्ष अदालत में जल्द होगी सुनवाई

शीर्ष अदालत इस मसले पर गुरुवार को सुनवाई करेगी। अगर निलंबन लगा तो भारतीय फुटबॉल (Indian Football) टीमों और क्लबों का अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से पत्ता कट जाएगा। इतना ही नहीं, अहमदाबाद से जुड़ी भारत की 2036 ओलंपिक मेज़बानी की महत्वाकांक्षी बोली भी अधर में लटक सकती है।

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Indian Football को फीफा का साफ संदेश

पत्र में फीफा और एएफसी ने कहा है कि एआईएफएफ को सुप्रीम कोर्ट से निश्चित आदेश लेकर संविधान को मंजूरी देनी होगी और इसे 30 अक्टूबर से पहले आम सभा की बैठक में पास करना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो मामला सीधे फीफा की निर्णायक संस्था तक जाएगा और वहां से भारत के निलंबन पर मुहर लग सकती है। इस पत्र पर फीफा के एल्खान मामादोव और एएफसी के वाहिद कर्दानी ने संयुक्त हस्ताक्षर किए हैं।

पहले भी लग चुका है बैन

यह कोई पहला मौका नहीं है जब भारतीय फुटबॉल (Indian Football) ऐसी शर्मिंदगी का सामना कर रहा है। अगस्त 2022 में भी फीफा ने भारत को ‘तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप’ के आरोप में निलंबित कर दिया था, जब सुप्रीम कोर्ट ने एआईएफएफ के संचालन के लिए प्रशासकों की समिति (CoA) नियुक्त कर दी थी। हालांकि, समिति को भंग करने और चुनाव होने के दो सप्ताह बाद यह प्रतिबंध हटा लिया गया था। उस चुनाव में कल्याण चौबे ने दिग्गज बाईचुंग भूटिया को हराया था।

ISL पर भी मंडरा रही अनिश्चितता

भारतीय फुटबॉल (Indian Football) लीग सिस्टम की रीढ़ कही जाने वाली इंडियन सुपर लीग भी इन दिनों अनिश्चितताओं से घिरी हुई है। टूर्नामेंट की तारीखों को लेकर लंबे समय तक साफ तस्वीर सामने नहीं आ सकी और अब अंतरराष्ट्रीय सस्पेंशन का खतरा मंडराने से हालात और पेचीदा हो गए हैं। अगर ऐसा हुआ, तो लीग के खिलाड़ियों और क्लबों के लिए भी बड़ा झटका साबित होगा।

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कुल मिलाकर, भारतीय फुटबॉल (Indian Football) फिलहाल “गरीबी में आटा गीला” वाली स्थिति में है। एक तरफ घरेलू लीगों का असमंजस खत्म नहीं हो पा रहा, दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी ‘सस्पेंशन’ का खतरा सिर पर मंडरा रहा है। अब नज़रें सुप्रीम कोर्ट और एआईएफएफ की अगली चाल पर टिकी हैं, क्योंकि यही तय करेगा कि भारतीय फुटबॉल आगे बढ़ेगा या एक बार फिर किनारे लगा दिया जाएगा।

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