भारत ने खोया अपना एक अनमोल रत्न, महान Ratan Tata का हुआ निधन, देश में शोक की लहर

Ratan Tata: टाटा समूह के चेयरमैन, सर रतन टाटा का 9 अक्टूबर, बुधवार को निधन हो गया। भारत ने अपने एक अनमोल रत्न को खो दिया इसी कारण पूरे भारतवर्ष में शोक का माहौल है।

iconPublished: 04 Feb 2025, 05:21 PM
iconUpdated: 26 May 2025, 11:28 AM

टाटा समूह के चेयरमैन, रतन टाटा का 9 अक्टूबर, बुधवार को निधन हो गया। उम्र से जुड़ी बीमारियों के चलते उन्हें सोमवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उनका निधन हो गया। ब्लड प्रेशर में अचानक आई गिरावट ने उनकी हालत को और गंभीर बना दिया था, जिससे उनका स्वास्थ्य स्थिर नहीं हो पाया।

हर्ष गोयनका ने सोशल मीडिया पर किया पोस्ट

रतन टाटा के निधन पर उद्योग जगत और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। आरपीजी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन, हर्ष गोयनका ने एक्स (पहले ट्विटर) पर उनके प्रति शोक व्यक्त करते हुए लिखा, "घड़ी ने अपनी टिक-टिक बंद कर दी है। टाइटन अब नहीं रहा। रतन टाटा ईमानदारी, नैतिकता और परोपकार के प्रतीक थे। उन्होंने न केवल व्यापार जगत, बल्कि समाज पर भी गहरी छाप छोड़ी है। वह हमारे दिलों और यादों में हमेशा ऊंचे स्थान पर बने रहेंगे।"

Ratan Tata ने दिन पहले किया था पोस्ट

रतन टाटा के निधन से दो दिन पहले, 7 अक्टूबर को, उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से अपने स्वास्थ्य को लेकर चल रही अफवाहों को खारिज किया था। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा था, "मैं वर्तमान में अपनी उम्र से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण चिकित्सा जांच करा रहा हूं। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है, मैं अच्छे मूड में हूं।" उन्होंने यह भी अनुरोध किया था कि लोग और मीडिया किसी भी प्रकार की गलत जानकारी न फैलाएं। इस संदेश ने उनके प्रशंसकों और शुभचिंतकों को उस समय राहत दी थी, लेकिन अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने से सभी को गहरा धक्का लगा।

Ratan Tata का शुरूआती जीवन

रतन टाटा का जन्म 1937 में प्रसिद्ध पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम नवल टाटा और मां का नाम सूनी टाटा था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में प्राप्त की और बाद में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से उच्च शिक्षा हासिल की। पारिवारिक व्यवसाय की कमान उन्होंने बहुत कम उम्र में ही संभाल ली थी और अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता से टाटा समूह को ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनकी ईमानदारी, परोपकार और दूरदर्शिता ने उन्हें भारत के सबसे सम्मानित उद्योगपतियों में स्थान दिलाया।

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