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Why did Virat Kohli Retirement from Test Cricket? 12 मई को 36 वर्षीय कोहली ने सबसे लंबे प्रारूप से संन्यास की घोषणा की, जिससे 2011 से 2025 तक चलने वाले लगभग 14 साल के टेस्ट करियर का अंत हो गया। इसके बाद सभी फैंस के मन में यह सवाल उठने लगे की आखिर क्यों विराट कोहली (Virat Kohli) को इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा।
Why did विराट कोहली Retirement from Test Cricket?
आपको बताते चलें कि हाल ही में पूर्व भारतीय विकेटकीपर सैयद किरमानी (Syed Kirmani) ने सुझाव दिया है कि विराट कोहली (Virat Kohli) का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास अत्यधिक क्रिकेट खेलने की मांग के कारण हो सकता है। दरअसल कोहली टेस्ट क्रिकेट में भारत के चौथे सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में संन्यास ले चुके हैं, और सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ तथा सुनील गावस्कर जैसी शीर्ष सूची में शामिल हो गए हैं।
Virat Kohli ने क्यों लिया संन्यास? मिल गया जवाब!
भारत की 1983 वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य सैयद किरमानी (Syed Kirmani) ने कहा कि यह निर्णय पूरी तरह से कोहली का अपना था और इसे लेते समय उन पर किसी बाहरी दबाव का असर नहीं था। किरमानी ने एक बड़ी मीडिया एजेंसी को बताया, “मुझे नहीं लगता कि वह रिकॉर्ड के पीछे है। हो सकता है कि क्रिकेट की अधिकता के कारण ऐसा हुआ हो। रिकॉर्ड उसके लिए मायने नहीं रखते। मुझे नहीं लगता कि यह निर्णय लेते समय उस पर किसी तरह का दबाव था।”
अभी कुछ समय और खेल सकते थे विराट!
पूर्व भारतीय विकेटकीपर सैयद किरमानी (Syed Kirmani) ने अपने बयान में आगे कहा, “उनमें अभी भी काफी क्रिकेट बचा हुआ है। हर किसी को रिटायर होना पड़ता है, लेकिन उन्हें थोड़ा और खेलना चाहिए था। हालांकि, मैं उनके फैसले का बेहद सम्मान करता हूं। मैं उन्हें भविष्य के लिए भी शुभकामनाएं देता हूं। विराट ने गेम में अक्सर निरंतरता लाई, जिसने उन्हें अलग बनाया। वह देश का प्रतिनिधित्व करने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन का स्रोत भी बने हैं, उनकी अनुकूलनशीलता और स्वभाव सराहनीय है। वह असाधारण और प्रतिष्ठित हैं।”
खराब फ़ॉर्म से गुजर रहे थे कोहली!
गौरतलब है कि विराट कोहली (Virat Kohli) को ऑस्ट्रेलिया में 2024-25 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ा। पर्थ टेस्ट की दूसरी पारी में शतक बनाने के बावजूद, उनका कुल प्रदर्शन औसत से कम रहा। पांच टेस्ट में, उन्होंने 23.75 की औसत से केवल 190 रन ही बनाए। वहीं घरेलू क्रिकेट में वापसी के बाद भी उनका संघर्ष जारी रहा, जहां वह अरुण जेटली स्टेडियम में रेलवे के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच में दिल्ली के लिए प्रभाव छोड़ने में विफल रहे। लिहाजा उन्होंने खुद को इस फॉर्मेट से पीछे हटा लिया और टेस्ट करियर का अंत कर दिया।
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