South Africa Cricket Team Black Players Rule And 21 Years Ban From International Cricket: दक्षिण अफ्रीका (South Africa) वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंच चुका है। टीम ने पहली बार टूर्नामेंट के फाइनल में कदम रखा। खिताबी मुकाबले में अफ्रीका के सामने ऑस्ट्रेलिया की चुनौती है। 11 से 15 जून के बीच खेले जाने वाले फाइनल मुकाबले को लंदन के लॉर्ड्स मैदान पर खेला जाएगा। इसी बीच हम आपको बताएंगे कि कैसे स्क्वॉड में 'ब्लैक' प्लेयर्स को ना शामिल करने की वजह से दक्षिण अफ्रीका पर 21 साल का बैन लगा था।
South Africa में रंगभेद
आपको बता दें कि दक्षिण अफ्रीका की टीम में अश्वेत यानी ब्लैक खिलाड़ियों को नहीं खिलाया जाता था। रंगभेद के कारण दक्षिण अफ्रीका में 1948 में कानूनी नस्लीय अलगाव लागू कर दिया गया था। इसके तहत अश्वेत खिलाड़ियों का टेस्ट क्रिकेट खेलना मना था। अफ्रीका की ऑल व्हाइट गर्वनमेंट के चलते अश्वेत लोगों को श्वेत लोगों से अलग एरिया में रहना पड़ता था।
ICC ने लगाया था 21 साल का बैन (South Africa)
इस रंगभेद के कारण अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने 1970 में अफ्रीका दौरों पर रोक लगा दी थी। फिर आईसीसी ने 1991 में अफ्रीका को दोबारा टेस्ट नेशन के रूप में मान्यता दी। अफ्रीका ने 1970 के बाद अपना पहला टेस्ट 10 नवंबर, 1991 में कोलकाता में भारत के खिलाफ खेला था। मुकाबले में अफ्रीका 3 विकेट से हार का सामना करना पड़ा था।
2016 में शुरू हुई ब्लैक खिलाड़ियों की खिलाने की नीति
रंगभेद को देखते हुए 2016 में एक नीति की शुरुआत की गई। इस नीति के अनुसार, टीम में कम से कम औसतन 6 ब्लैक यानी अश्वेत खिलाड़ियों का होना जरूरी है। इन 6 खिलाड़ियों में 2 अफ्रीकी ब्लैक खिलाड़ी होने चाहिए। एक सीजन में अफ्रीका की प्लेइंग इलेवन में औसत 6 ब्लैक खिलाड़ियों को शामिल करना जरूरी है। 2016 से पहले अफ्रीका टीम में अश्वेत खिलाड़ियों के खिलाने को लेकर कोई नियम नहीं था। इस नियम के बाद अश्वेत खिलाड़ियों के दरवाजे खुल गए।
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