Iftikhar Ali Khan Pataudi Biography: क्रिकेट के इतिहास में कई बड़े-बड़े खिलाड़ी हुए हैं, लेकिन एक ऐसा नाम भी है जिसने इंडिया और इंग्लैंड दोनों के लिए टेस्ट क्रिकेट खेला है। ये खास पहचान है पटौदी के सीनियर नवाब इफ्तिखार अली खान की। इतना ही नहीं, उनका एक खास कनेक्शन बॉलीवुड से भी है।

ऐसे शुरू हुआ इफ्तिखार अली खान का इंग्लैंड टीम के साथ सफर

इफ्तिखार अली खान (Iftikhar Ali Khan Pataudi) ने लाहौर के एचिसन कॉलेज और ऑक्सफोर्ड के बैलिओल कॉलेज से पढ़ाई की। उन्हें 1932-33 की मशहूर बॉडीलाइन सीरीज के लिए इंग्लैंड की टीम में चुना गया था। रणजीत सिंहजी और दलीप सिंहजी की तरह उन्होंने भी एशेज सीरीज में सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर शानदार शतक बनाया, जो उनका पहला टेस्ट भी था।

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The MCC squad for the 1932-33 tour of Australia and New Zealand

लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस शतक के बावजूद इफ्तिखार अली खान (Iftikhar Ali Khan Pataudi) को अगले ही मैच के बाद टीम से बाहर कर दिया गया। कहा जाता है कि वे इंग्लैंड के कप्तान डगलस जार्डाइन की बॉडीलाइन रणनीति से सहमत नहीं थे। इसीलिए वे सीरीज खत्म होने से पहले ही दौरा छोड़कर अपने देश लौट गए।

इंग्लैंड के लिए वापसी और फिर भारतीय कप्तान

1933 और 1934 के इंग्लिश सीजन में वॉर्सेस्टरशायर के लिए इफ्तिखार अली खान के प्रभावशाली प्रदर्शन के कारण उन्हें 1934 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक और टेस्ट के लिए इंग्लैंड टीम में वापस बुलाया गया, जो उनके 'अपनाए हुए' देश के लिए उनका आखिरी क्रिकेट मैच था।

कई महीनों बाद, 1936 के इंग्लैंड दौरे से ठीक पहले इफ्तिखार अली खान (Iftikhar Ali Khan Pataudi) को भारतीय टीम का कप्तान नियुक्त किया गया। विचार यह था कि वे जैक राइडर की अगुआई वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ विंटर सीरीज में खिलाड़ियों को देख सकते थे और अपनी पसंद की टीम चुन सकते थे, लेकिन फरवरी में पटौदी के पूरी तरह से फिट न होने का हवाला देकर उनकी योजना विफल हो गई।

दस साल बाद, इफ्तिखार अली खान ने आखिरकार 1946 में भारतीय टीम का नेतृत्व इंग्लैंड में किया, हालांकि यह बहुत सोच-समझकर लिया गया कदम नहीं था। उस समय 36 वर्षीय पटौदी अपने फॉर्म से बाहर थे और पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने बहुत कम फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला था। इफ्तिखार अली खान ने दौरे पर लगभग एक हजार रन बनाए और नॉर्थम्पटनशायर और ससेक्स के खिलाफ शतक बनाकर अतीत की दुर्लभ झलक दिखाई। लेकिन टेस्ट में उनका औसत सिर्फ 11 रन था, जिसमें भारत 1-0 से हार गया और खराब स्वास्थ्य के कारण उन्हें जल्द ही संन्यास लेना पड़ा।

5 जनवरी 1952 को पोलो खेलते हुए इफ्तिखार अली खान (Iftikhar Ali Khan Pataudi) की मौत हो गई। खास बात यह थी कि उसी दिन उनके बेटे मंसूर अली खान (Mansur Ali Khan Pataudi) का जन्मदिन भी था। इफ्तिखार अली खान की जिंदगी मैदान के अंदर और बाहर दोनों ही जगह बेहद खास और अलग थी।

Iftikhar Ali Khan Pataudi का बॉलीवुड से खास कनेक्शन

इफ्तिखार अली खान पटौदी का बॉलीवुड से खान जुड़ाव उनके बेटे मंसूर अली खान पटौदी (टाइगर पटौदी) के जरिए है, जो खुद भारत के महानतम क्रिकेट कप्तानों में से एक थे। मंसूर अली खान ने मशहूर बॉलीवुड एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर (Sharmila Tagore) से शादी की, जिससे पटौदी परिवार सीधे फिल्मी दुनिया में आ गया। ऐसे में सैफ अली खान (Saif Ali khan) के दादा इफ्तिखार अली खान पटौदी (Iftikhar Ali Khan Pataudi) हुए. इस तरह इफ्तिखार अली खान पटौदी का परिवार न सिर्फ क्रिकेट बल्कि भारतीय सिनेमा में भी एक प्रतिष्ठित नाम बन गया।

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