Team India: बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 समाप्त हो चुका है। टीम इंडिया ने 1-3 से इस श्रृंखला को गंवा दिया है। सिडनी में उनके लिए करो या मरो वाला मुकाबला था। हालांकि भारत इस मुकाबले को जीतने में नाकाम रहा। इस हार के बाद एक बार फिर इस टीम के ऊपर ऊंगलियां उठने लगी हैं। खिलाड़ियों से लेकर कोच व सेलेक्टर हर किसी की आलोचना हो रही है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि वो 5 कारण, जिसके चलते भारतीय टीम को अंतिम टेस्ट में शिकस्त का सामना करना पड़ा।
ये रहे Team India की हार के 5 कारण
1. एक अतिरिक्त पेसर न खिलाना
सिडनी जैसी हरी-भरी पिच पर टीम इंडिया दो स्पिनरों के साथ उतरी। ये रणनीति समझ से परे रही। टीम के पास हर्षित राणा के रूप में एक प्रतिभाशाली पेसर मौजूद थे जो पहले दो मुकाबले के दौरान अंतिम-11 का हिस्सा थे। ऐसे में एक अतिरिक्त तेज गेंदबाज न खिलाने का भारतीय टीम को खामियाजा भुगतना पड़ा।
2. टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करना
रोहित शर्मा ने पांचवे टेस्ट में खुद को ड्रॉप किया। उनके स्थान पर जसप्रीत बुमराह कप्तानी कर रहे थे। सिडनी की पिच पर काफी घास थी। साथ ही ओवरकास्ट कंडिशन (बादल छाए हुए) थे। ऐसे में भारत का टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला नुकसानदेह साबित हुआ।
3. दोनों पारियों में खराब बल्लेबाजी
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सीरीज के दौरान बल्लेबाजी भारत की सबसे कमजोर कड़ी रही। इसका नजारा सिडनी में हुए अंतिम टेस्ट में देखने को मिला। पहली पारी में जहां इस टीम ने 185 रन बनाए, तो दूसरी पारी में 157 रनों पर ऑलआउट हो गई। केएल राहुल, शुभमन गिल, विराट कोहली एक बार फिर फ्लॉप साबित हुए।
4. जसप्रीत बुमराह का चोटिल होना
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पूरी सीरीज में घातक गेंदबाजी करने वाले जसप्रीत बुमराह दूसरे दिन के पहले सत्र में चोटिल हो गए। उन्हें फौरन स्कैन के लिए ले जाया गया। दरअसल अधिक वर्कलोड के चलते 30 वर्षीय पेसर ने अपनी पीठ में खिंचाव महसूस किया। डॉक्टर ने बुमराह को गेंदबाजी न करने की सलाह दी। इसके चलते टीम इंडिया की जीत की सारी उम्मीदें धूमिल हो गई।
5. आक्रामक बल्लेबाजी की रणनीति
पांचवे टेस्ट की पहली पारी में भारत अधिक सुरक्षात्मक होने के प्रयास में बड़ा स्कोर नहीं बना सका। वहीं दूसरी पारी में अधिक आक्रामक होने के चलते, समय समय पर बल्लेबाजों ने अपना विकेट गंवाया। केएल राहुल, शुभमन गिल, ऋषभ पंत, नीतीश कुमार रेड्डी का विकेट इसके उदाहरण है।
अच्छी शुरुआत मिलने के बाद भारत चाहता तो धैर्यपूर्वक बल्लेबाजी कर 200 से अधिक का स्कोर खड़ा कर सकता था। पिछले 46 सालों में ऐसा दो ही बार हुआ है, जब सिडनी के मैदान पर 200 या इससे अधिक का स्कोर चेज़ हुआ हो। ऐसे में उनके पास जीत का अधिक मौका रहता।
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