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भारतीय क्रिकेट बोर्ड और राजनीती इन दोनों के बीच चोली दामन का साथ था, साथ है और साथ रहेगा, और यकीन मानिए जब तक इन दोनों का साथ रहेगा तब तक भारतीय क्रिकेट और इसमें अपना उज्जवल भविष्य देख रहे युवा बच्चे की टैलेंट के साथ केवल और केवल छल ही होगा.
एशिया कप 2022 में भी कुछ ऐसा ही हो रहा अगर कोई खिलाड़ी फॉर्म में है, तो उसे बेंच पर बैठा कर उसकी फॉर्म को ख़राब किया जा रहा है, और किसी खिलाड़ी ने मौके मिलने पर अच्छा प्रदर्शन कर दिया तो उसे बिना किसी वजह के स्क्वाड से बाहर कर उसकी करियर को खराब करने की भरपूर कोशिश बीसीसीआई की तरफ से की जा रही है.
लाडला ऋषभ पंत या दिनेश कार्तिक कौन है ज्यादा बेहतर
शक्ति बहुत बड़ी चीज होती है, चाहे वो जिस चीज की भी हो, राजनीती में कुर्सी की, खेल में पोस्ट (पद) की, धार्मिक चीजो में ईश्वर की और आप कल्पना कीजिए कि इस शक्ति का अगर कोई गलत उपयोग करने लगे तब क्या होगा? आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते इन दिनों कुछ ऐसी ही शक्ति भारतीय क्रिकेट और उसके भविष्य को बर्बाद कर रही है.
एक बल्लेबाज दिनेश कार्तिक जिसने लगभग अपना समाप्त होता क्रिकेटिंग करियर को दुबारा से मेहनत करके पसीना बहाकर बड़ी मुश्किल से ऊपर उठाया था, उसे बेंच पर बैठा कर उसकी वर्तमान फॉर्म को ख़राब किया जा रहा है. वहीं ऋषभ पंत जिसने मानो कसम खा रहा हो की मै परफॉरमेंस करूंगा ही नहीं, उसे मौके पे मौके दिए जा रहे हैं, यह कितना जायज है?
शायद पंत को भी अच्छे से पता है कि मुझे कोई बाहर कर ही नहीं सकता, मानो इसी का वो भी गलत फाएदा उठा रहे हैं, हाल के कई मैच में दिनेश कार्तिक ने जिस तरह से भारत के लिए फिनिश किया है, जिस तरह से उस खिलाड़ी ने अपने आप को फील्ड पर बैक किया ऐसे में कार्तिक का एशिया कप का हर मुकाबला खेलना बनता था, चाहे जैसी भी हो लेफ्ट-राईट कॉम्बिनेशन.
दिनेश कार्तिक आईपीएल 2022 से पहले जिनकी क्रिकेटिंग करियर लगभग समाप्त मानी जा रही थी, हाल ही में हुए कुछ मैच में उन्होंने अपने बल्ले से सभी का मुंह बंद कर दिया था. कई क्रिकेट एक्सपर्ट तो डीके को “कमेंटेटर डीके” तो कुछ लोग “वाटर बॉय” डीके कहने लगे थे. मगर वो कहावत है ना “वक़्त कैसा भी हो एक दिन बदलता जरूर है” कुछ ऐसा ही दिनेश कार्तिक ने अपनी कड़ी मेहनत, और क्रिकेटिंग हौसले से अपने बुरे वक़्त को बदल दिया.
वही ऋषभ पंत को पिछले कई सालों से मौके पे पौके दिए जा रहे मगर हर बार पंत इसे भुनाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं. बार बार एक ही गलती करके गैर जिम्मेदाराना शॉट खेलकर आउट होना मानो ऋषभ पंत का आदत बन गया है. भारत के लिए खेलते हुए दिनेश कार्तिक ने 49 टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच की 40 पारियों में 139.95 की स्ट्राइक रेट से 592 रन बनाये है.
इस दौरान उनका औसत 28.19 रहा है. यहाँ भी कार्तिक 19 बार नाबाद लौटे है. वहीं ऋषभ पंत ने भारत के लिए अब तक कुल 57 अंतर्राष्ट्रीय टी20 मैच खेले हैं, जिसकी 50 पारियों में 126.42 की स्ट्राइक रेट से पंत ने 914 रन बनाये हैं.इस दौरान उनका औसत मात्र 23.44 का रहा है.
कौन कर रहा है ऋषभ पंत को बार-बार बैक?
ऋषभ पंत जिसने मानो बार-बार एक ही गलती करने की ठान रखी हो, आखिर उसे कौन कर रहा है पीछे से बैक, हालांकि यह बात सत्य है, कि ऋषभ पंत ने हाल के दिनों में टेस्ट क्रिकेट में अच्छी बल्लेबाजी की है, और टेस्ट में उनका प्रदर्शन शानदार रहा है, तो इस लिहाज से क्यों ना पंत को टेस्ट तक ही सिमित रखा जाए?
जिस तरह से वनडे और टी-20 फॉर्मेट में उनके बार-बार एक ही गलती करने के बाद भी उन्हें जबरन मौके देकर भारतीय क्रिकेट को दूसरा धोनी देने की कोशिश कर रहे बीसीसीआई को भी अब सोचना चाहिए की आखिर कब तक? और कितना मौका मिलेगा पंत को? क्या उनसे बेहतर विकेट-कीपर बल्लेबाज की 130 करोड़ जनसँख्या वाले भारत देश में कमी हो गयी है?
जिस तरह से पंत को कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा बैक कर रहे है उस हिसाब से देख कर साफ़ पता लग रहा कि उनका तो फेवरेट पंत है ही, साथ ही हर बार कई द्विपक्षीय सीरीज की स्क्वाड में चाहे 3 विकेट कीपर के साथ टीम जाए लेकिन उसमे पंत का नाम अनिवार्य होता ही था.
भारतीय टीम के कोच और कप्तान को सोचना चाहिए कि दिनेश कार्तिक वैसे भी टी-20 वर्ल्ड कप के बाद शायद क्रिकेट से संन्यास ले ही ले, तो क्यू ना उनको इस वक़्त मौका दिया जा रहा है, जब वो अपने करियर कि सबसे बेहतरीन फॉर्म में है. और चयनकर्ताओ को भी वाइट-बॉल क्रिकेट में और भी कई दूसरे विकेट-कीपर बल्लेबाज के विकल्प की तरफ देखना चाहिए.