किसी भी मैच का निर्णय सिर्फ खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर ही नहीं निर्भर करता, बल्कि कोई और भी है जो मैच का रुख पलट सकता है, वो हैं अंपायर। अंपायर का एक गलत निर्णय पूरे मैच का रुख बदल सकता है। हम अगर ढूँढने जाएंगे तो हमें हजारों ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे, जब अंपायरों की एक गलती ने पूरे मैच का रिजल्ट बदल दिया हो। कई बार ऐसा हुआ है जब अंपायर के निर्णयों ने हार-जीत का फैसला किया हो।
इसलिए अंपायरों की नियुक्ति यूं ही नहीं की जाती, ये काम बड़े सोच समझ कर ये निर्णय किया जाता है। कोई यदि अंपायर बनना चाहे तो उसे अंपायर बनने के लिए कड़े टेस्ट देने होते हैं, तब जाकर उसे अंपायर बनने का अवसर मिलता है। अंपायर बनने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से फिट होना बहुत जरूरी है। खेल की समझ, नियमों का पूरा ज्ञान होना किसी भी अंपायर के लिए बहुत जरूरी है।
कैसे होती है अंपायर बनने प्रक्रिया व ग्रेड सिस्टम
अंपायर बनने के लिए करियर की शुरुआत ग्रुप D से होती है, ग्रुप D की अंपायरिंग ही उनके लिए राष्ट्रीय स्तर और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट में अंपायरिंग करने के दरवाजे खोलती है। बीसीसीआई ने अंपायरों को पांच ग्रेड में बांटा हुआ है। A+ और A ग्रुप के अंपायरों को प्रथम श्रेणी मैच के लिए प्रत्येक दिन के 40,000 रुपये मिलते हैं। जबकि B, C और D ग्रुप के अंपायरों को प्रत्येक दिन के 30,000 रुपये मिलते हैं।
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने इस बारे में बात करते हुए कहा, कि "परीक्षा मुश्किल होती है, लेकिन हम गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहते हैं। क्योंकि अगर आप आगे राष्ट्रीय स्तर और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मैचों में अंपायरिंग करना चाहते हैं, तो फिर गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती। खेल की समझ होना, नियमों का पूरा ज्ञान होना बहुत जरूरी है।"
अम्पायरिंग के टेस्ट में ज्यादातर प्रतियोगी हुए फेल
इस बार बीसीसीआई (BCCI) ने अंपायरों की भर्ती के लिए जो टेस्ट लिया था, उसमें 140 प्रतियोगियों ने भाग लिया। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इसमें से 97% प्रतियोगी फेल हो गए। बीसीसीआई ने यह टेस्ट महिला वर्ग और जूनियर वर्ग के मैचों के लिए ग्रुप D के अंतर्गत अंपायरिंग के लिए लिया गया था।
अंपायर बनने के लिए 200 अंकों का एक टेस्ट लिया गया था, जिसका कटऑफ 90 अंक था। इसमें लिखित परीक्षा के लिए 100 अंक, मौखिक और वीडियो परीक्षा के लिए 35-35 अंक और फिजिकल के लिए 30 अंक थे। इस परीक्षा में 140 प्रतियोगियों ने भाग लिया था। इनमें से 137 प्रतियोगी फेल हो गए और सिर्फ तीन ही इस परीक्षा को पास कर पाए।
बीसीसीआई के द्वारा इस परीक्षा में पूछे गए कुछ सवाल और उनके जवाब
सवाल - स्पिनर ने एक गेंद फेंकी और बल्लेबाज ने आगे बढ़कर गेंद को खेलना चाहा लेकिन वह मिस कर गया। सिली पॉइंट फील्डर ने हाथ बढ़ाकर गेंद को पकड़ा और विकेट बिखेर दीं तो क्या बल्लेबाज आउट होगा?
सही जवाब - नॉट आउट, चूंकि फील्डर ने गेंद छू दी है तो अंपायर को इसे नो बॉल और डेड बॉल करार देना चाहिए।
सवाल - अगर पवेलियन के किसी हिस्से, पेड़ या फील्डर की परछाई पिच पर पड़े और बल्लेबाज आपसे शिकायत करे तो आप क्या करेंगे या क्या फैसला लेंगे?
सही जवाब - पवेलियन या पेड़ की परछाई से मैच पर कोई फर्क नहीं पड़ता। हाँ फील्डर को स्थिर रहने के लिए कहा जा सकता है, नहीं तो अंपायर को डेड बॉल घोषित करने का अधिकार है।
सवाल - एक फेयर डिलिवरी पर बल्लेबाज ने कोई शॉट खेला और बॉल शॉर्ट लेग पर खड़े फील्डर के हेलमेट में अटक गई। गेंद की वजह से हेलमेट गिर गया, लेकिन बॉल के जमीन पर गिरने से पहले फील्डर ने उसे कैच कर लिया। क्या बल्लेबाज को कैच आउट देंगे?
सही जवाब - नहीं, इस स्थिति में बल्लेबाज को नॉट आउट दिया जाएगा।
सवाल - आपको लगता है कि गेंदबाज की चोट सही है और अगर पट्टी हटाते हैं तो खून निकलने लगेगा, इसके बाद भी क्या आप गेंदबाज को टेप हटाकर गेंदबाजी करने के लिए कहेंगे?
सही जवाब - अगर गेंदबाज को गेंदबाजी करनी है तो उसके लिए उसे टेप हटाना ही होगा।